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वो लालबाघचाराजा की महिमा जो 1935 से भक्तों को रिझाती आई है

  • Writer: Arijit Bose
    Arijit Bose
  • Aug 24, 2017
  • 3 min read

Lalbaugcha Raja Mumbai

The Korma Avatar of Bappa


चौरासी साल का हो चला लालबाघचाराजा ना केवल एक भव्य रूप है गणपति का, बल्कि यहाँ पर आने वाले श्रधालू कहा जाता है खाली हाथ नही जाते.

लाखों की तादात में आने वाले बप्पा के भक्त, इसी उमीद के साथ यहाँ हर साल माथा टेकते हैं की उनकी मनोकामना पूरी होगी. महाराष्ट्र का एक अनोखा गणेशोत्सव इसे इस वर्ष कॉर्मा अवतार में ढाला गया है, जिसे हम भगवान विष्णु के दूसरे अवतार के रूप में भी जानते हैं.

लालबाघचाराजा इस साल कछुए के सिंघासन पे विराजमान हैं जिसे बोल्लयऊूद के नामी कला निदेशक और प्रोडक्षन डिज़ाइनर नितिन देसाई ने विराट रूप दिया है. नितिन को जोधा अकबर और देवदास जैसी हटके सिनिमा के लिए याद किया जाता है.

बप्पा की इस मूर्ति की प्रतिस्थापना और पूजा मंडल अध्यक्ष बालासाहेब कंबले ने किया.

बप्पा के इस रूप की ना केवल पुरानी मान्यतायें हैं, बल्कि इसका अपना इतिहास भी काफ़ी अच्छा है. चिंचपोक्ली स्थित कॅंब्ली आर्ट्स ने इस मूर्तीको 1935 से रूप दिया है. कॅंब्ली इस साल के जून महीने से मूर्ति को गढ़ने में लगे हुए थे. कॅंब्ली को पूरी छूट है अपनी तरह से काम करने का ऐसा वो खुद बताते हैं.

बड़े गणपति मंडल जैसे लालबघचा राजा, अंधेरीचा राजा और ग्सब मंडल पे भारी भीड़ की संभावना है.

देश में जहाँ त्योहारों में आतंक और क्राइम का डर बना हुआ है तो वोहीं गणेशोत्सव इससे अच्छूता नही रहा. मुंबई शहेर और उसमे सारे पंडालों में पोलीस का बड़ा बंदोबस्त है जिसमे लालबाघचाराजा भी शामिल है.

50 क्लोस्ड– सर्किट टेलिविषन  कॅमरा लागाए गये हैं, साथी 600 पोलीस की टुकड़ी और ईव टीज़िंग स्क्वाड्स भी तैनात रहेंगे पूरे समय.

इंडो–टिबेटन बॉर्डर पोलीस (इटबप) की एक ख़ास टुकड़ी लालबाघचाराजा के पंडाल में क़ानून की रखवाली करेगा. रॅपिड आक्षन फोर्स और स्टेट रिज़र्व पोलीस प्लेटून सबसे बाहरी सेक्यूरिटी के लेयर को बरकरार रखेगा.

सूत्रों की माने तो मुंबई ट्रॅफिक पोलीस के 3,300 ट्रॅफिक कॉप्स को भी चुस्ती से काम करने को कहा गया है.

lalbaugcha-raja

A different avatar


राजा भव्य और विगञहरता तो है हीं सात ही उनका बीमा भी करवाया जाता है हर साल.

लालबाघचाराजा का Rs 51 करोड़ का बीमा हुआ है इस साल. कुलमिलाके ये बीमा शुरू से लेकर आख़िर तक हर उस चीज़ के लिए है जो बप्पा से जुड़ी है, चाहे वो वॉलंटियर्स, मूर्ति, गहने या पब्लिक लाइयबिलिटीस की बात हो. पूरे मंडप का बीमा Rs 3.50 करोड़ का हुआ है.

सबसे पहला लालबाघचाराजा की पूजा हुई सेप्टेंबर 12, 1934में मुंबई के पेरू चाव्ल में. जानकार बताते हैं की ये गणेशा के करिश्मे से जब एक मार्केट बचा तो यहाँ पूजा शुरू हुआ.

लालबाघचाराजा का पहली बार विमोचन साल 1934 में किया गया और उसे नवसचा गणपति भी कहा जाता है.

उस साल गणपति को गरंखाद्याचा गणपति कहा गया. आने वाले समय में मछुआरों ने उन्हे लालबाघचाराजा बुलाया जो उनका आज तक नाम है.

कॅंब्ली आर्ट्स के सानिध्य में1920 से गणपति की मूर्तियाँ तैय्यर हो रही हैं. साल 1935 था जब उन्होने लालबाघचाराजा बनाना शुरू किया.

कॅंब्ली आर्ट्स हर साल 175 गणपति मूर्तियाँ बनाते है.  लालबाघचाराजा का रूप विराट इस लिए है क्यूंकी वो 12 फीट की मूर्ति है जो 1,500 kg लोहा और 500 kg प्लास्टर ऑफ पॅरिस से बनाया हुआ एक अनोखा गणपति का रूप है. राजा को 39-मीटर्स लंबी सिल्क धोती से सजाया जाता है दो बार दिन में.

Ganesha

Ganpati last touches courtesy Firstpost


1948 में लालबाघचाराजा को गाँधीजी का रूप भी दिया जा चुका है.

1983 मे लालबाघचाराजा ने पचास साल पूरे किए तब वो सुर्य रथ पे विराजमान थे जिसे साथ सफेद घोरों ने खेंचा.

साल 2006 से हर साल बप्पा के पैर यहाँ पर 100 ग्राम सोना सोना से बनता है.

बप्पा की मूर्ति को ग्यारह दिन के लिए रखा जाता है जहाँ बड़े से बड़े व्यावसायी, फिल्मस्टार और आमआदमी सब बप्पा को नमन करने पहुँचते हैं.

अनंत चतुर्दशी के दिन इनका विसर्जन किया जाता है.

अगर आप मुंबई में हैं और आप बप्पा की भक्ति में विश्वास रखते हैं तो लालबाघचाराजा के दरबार में अवश्य जायें.

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