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ए हमसफर

  • Writer: Arijit Bose
    Arijit Bose
  • Feb 3, 2017
  • 2 min read


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हमसफर खूबियों के मोहताज तो हम कभी ना थे

शायर से हम शायराना से अंदाज़ तो हुमारे कभी ना थे

शायरों के महफ़िल में हुमारी तालियों की कद्र किसी को ना थी

एक आपकी दोस्ती और दूसरा उसमे च्छूपी मोहब्बत है जो सितारों से जोड़ती

वरना आसमान के मुसाफिर हम ना थे , लफ्ज़ तब भी झलकते थे ज़ुबान से

पर हुमारे लफ्ज़ यून शायरी से कभी ना थे

ग़मे उलफत में किसी के सहारे की ज़रूरत ना थी

किसी दिलवाली की इस ग़रीब की दुनिया में जगह ना थी

यून तो चाहने वालों की कमी ना थी

पर अफ़सोस की हम आपके दोस्ती के काबिल ना थे

बीते हर दिन की याद आती रहती ज़ख़्मों को वो कुरेदती रहती

भूल गये की हुममें वो काबिलियत ना थी

हम किसी को दिल देने के लायक ना थे

आँखों से  आसू बहते रहते

तेरी हर साँस हर आहत मुझे चुभती रहती तुझसे जुदाई हूमें मंज़ूर ना थी

चाहते हम तभी थे पर हम तेरे प्यार में तब दीवाने ना थे

यून तो किसी दिल तोड़ने वाले से हम कभी मिले ना थे

चिंगारी जो आपने भड़काया हम कभी बुझने देने वेल ना थे

किसी खूबसूरत आशियाने के मलिक हम कभी ना थे

दुनिया हुमारे और आपके एक होने से जलती

फिर भी एक दिल है जो चाहत का एलान किए जाती

दर्द तो सेक्रोन झेले हैं इस दिल ने पर खुशियों के हिस्सेदार हम कभी ना थे

ज़िंदगी के वीरान राहों पर हम कभी गुमशुदा ना थे

अपनी मुक़द्दर के हम बादशाह कभी ना थे

उनके आँखों से आँखें तो रोज़ ही मिलती थी पर

उनकी आँखों में वो तड़प और अल्फाज़ों में वो कशिश कभी ना थी

दिलवालों के शहेर में हम कभी अपने दिल को लुटाते ना थे

झूठी तसलियों से अपने दिल को बहलाते ना थे

वैसे तो अपनी ज़िंदगी में प्यार बरसाने वाली कोई परी ना थी

फिर भी  ए दोस्त हम कभी ज़िंदगी से मायूस ना थे

बस यही सोचा करते हैं की काश तुमने वो दिल में शमा जलाई ना होती

ज़िंदगी खुशी खुशी बीट जाती

अगर तुमसे मुलाकात ही ना होती

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