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ए ज़िंदगी गले लगाले

  • Writer: Arijit Bose
    Arijit Bose
  • Sep 7, 2017
  • 1 min read
lifestory

बड़ी गोलमोल सी है ज़िंदगी

कहीं भागम भाग है

कहीं हर रोज़ की मशक्कत

कहीं दो जून की रोटी की चिंता

तो कहीं मंज़िल पाने के लक्ष्या की तरफ नज़र

दौड़ती भागती एक ऐसी ज़िंदगी जो सोचने पे मजबूर कर्दे

ख्वाहिशें ऐसी जो पाने में सदियों का इंतेज़ार

हर किसी को करता मिन्नते बार बार

कुछ तो मेरी भी सुनना मेरे यार

अपनी आपबीती किसे सुनाऊं

हर शक़स आज बहुत है बेगाना सा

ठोकरें खाई तो हैं

पर अब उभरने का है दिल में विचार

लंबी रेस में जीतने का

अब एक नया उमंग रगों में दौड़ चला है

क्यूँ है तू मुझसे यून मायूस ज़िंदगी

मेरे जीवन में

है कुछ नये तराने गाने की चाह जो हैं सदाबहार

कैसे कहूँ मैं और मेरा मॅन

कितना गुमशुदा हो गया है

ज़िंदगी के भेड़ चाल में

कहीं मैं खुद की असली पहचान को खो चला

जब तक संभाल पाता

बचपन मुझे कहीं ना कहीं पीछे छोड़ चला

एक ओर जहाँ जुग्नुओ की रोशनी से रात रोशन हो चला

में आज भी अपने अंधेरे मॅन में

ज्ञान का दीप जलाने का असफल प्रयास कर चला

यूही हर दिन की भाग दौड़ से कहीं मैं हार चला

कोई तो हूमें भी समझ के सहारा देनेके लिए अपना हाथ आगे दे बड़ा

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