आज़ादी का जयघोष…..
- Arijit Bose
- Aug 28, 2016
- 2 min read
आज़ादी का जयघोष सुनाकर बढ़ चले आज़ादी के दीवाने हैं
इस माटी के कर कर में बसे कई किस्से और फसाने हैं
68 साल की आज़ाद भारत के साथ हमारे रिश्ते पुराने हैं
क्रांतिकारियों की गाथा सुनकर आती नयी जवानी है
यलगार हो की ध्वनि आज भी कानों में गूंजा करती है
धरती के वीर सपूत ए माँ तेरी कस्मे खाया करते हैं
आज फिर आज़ादी के पर्व पर मंगल ध्वनि सुनाई दी है
आज फिर नेहरू के आज़ादी के मध्य रात्रि के वह चंद बोल सुनाई पड़ते हैं
भारत के जवान आज भी तेरी गाथा गया करते हैं
दुश्मन से डट कर लड़ते लड़ते वह भारत माँ की कस्मे खाया करते हैं
दिल में एक शोला जलाये आज भी वह रात के अँधेरे में सरहद पर पहरा दिया करते हैं
मैं तो इस माटी का बालक हूँ माँ
उन वीरों का बलिदान मेरे भी खून को उबाल दिया करता है
भारत की है हर बात अनोखी
रह रह कर हमें आज़ादी की याद दिलाया करती है
सूरज की पहली किरण के साथ हम राष्ट्रीय ध्वज फहराने चलते हैं
मेरा भारत फिर आज़ाद हो चला यही हर ओर खबर प्रचार करते हैं
भारत की तो है बात अनूठी, उसके चाहने वाले सदियों पुराने हैं
वैसे तो आज़ादी का हर रोज़ होता नया सवेरा
पर १५ अगस्त के अपने माईने हैं
चल फिर से लें हम प्रण के भारत का मस्तक झुकने नहीं देंगे
अगर देश पे विपदा आई तो हँसते हँसते प्राणों की आहूति देंगे
अपने अंदर के वीर और वीरांगनाओं को हमेशा तैयार रखेंगे
आज प्राण पर खेलकर फिर आज़ाद करना पड़े
तो इस धरती को फिर नया सवेरा देंगे
ज़ंजीरों से अगर फिर जकरा देश तो एक बार क्यों सौ बार उसे बचायेंगे
आज़ादी के ६९ साल बाद भारत के दामन पर छीटे लगने नहीं देंगे
आशा करता हूँ की हम इस देश को एक दिन सोने की चिड़िया बनायेंगे
तन मन से जीवन भर भारत का भविष्य उज्वल बनायेंगे
कदम कदम पर रुकावट आये तो उसे पार करने में नहीं कतरायेंगे
आज भी पूर्ण आज़ादी न मिली हमको – कुरीतियाँ आज भी बहुत सारी हैं
भारत के हर व्यक्ति को अपनी मातृभूमि प्यारी है
भ्रष्टाचार, गरीबी, ऊँच नीच की भावना
छोटी सोच आज भी चोटिल लोगों को करती हैं
आओ मिल कर साथ चले और न रहने दें किसी को पीछे
जिससे हर तपका इस आज़ादी का आनंद उठाये
दी है तूने ढेर साड़ी खुशियां भारत माँ अपनी कृपा हम पर बनाये रखना
कभी भी आपात की स्थिति आये तो इस बेटे को याद करना
मेरे पास देने को कुछ हो न हो दिल का मैं राजा हूँ
मैं भारत का रहने वाला हूँ
भारत का गीत सुनाता हूँ
वतन फिर आज़ाद हो चला है यारो
और मैं आज जयघोष सुनाता हूँ…….
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