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अब गोबर गणेश दिलाएँगे आपको प्रदूषण से निजात

  • Writer: Arijit Bose
    Arijit Bose
  • Aug 22, 2017
  • 2 min read
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मुंबई समेत कई देश के इलाक़ों में गणपति बप्पा आला रे के जैकारे गूँज रहे हैं. पूजा परिक्रमा जहाँ शुरू हो ही रही है तो हर साल की तरह इस बार भी गणेश की मूर्ति बनाने में मूर्तिकारों का अमूल्य योगदान रहा है.

एक ऐसे समय जब पर्यावरण के जानकार प्रदूषण मुक्त भारत की बात कर रहे हैं, वोहीं ईको फ्रेंड्ली गणेशा का क्रेज़ इस बार भी बदस्तूर जारी है. पेशे से गौशाला चालक, नीलेश टूपे ने इस बार एक नये ट्रेंड को हवा दी है. ये है गोबर के बने हुए गणेश.

नेरूल के निवासी नीलेश टूपे उमर 32 साल ने एक सपना देखा था की वो कुछ ऐसा करेंगे जो पर्यावरण संरक्षण में एक साराहनिय योगदान होगा.

पन्च्गव्य जो की गौ मुत्र, गोबर, दूध, दही और घी का बना हुआ होता है उसे उन्होने समझा और फिर चल पड़ा गोबर गणेश बनाने की प्रक्रिया . नीलेश भारतीय रीति रिवाज और ख़ास कर पूजा सामग्री में ख़ास रूचि रखते हैं.

एक बार जब ये गोबर के बने हुए गणेश का विसर्जन करने का समय आता है तो उसे बाल्टी में डुबो के उसे अच्छे खाद में तब्दील कर इस्तेमाल किया जाता है. एक 25 एकर के गौशाला के मालिक जहाँ 60 गाये हैं खरगर में, उन्हे काफ़ी तारीफ़ मिल रही है उनके इस अनूठे प्रयास के लिए.

cow dung Ganesha

हिंदू मान्यता के अनुसार गोबर काफ़ी ज़रूरी और शुद्ध है किसी भी धार्मिक कार्य में.

गोबर के बने मूर्ति पानी के प्रदूषण को रोकने में लाभकारी साबित होते हैं

स्टार्स, नेता, और खेल जगत से जुड़े लोग सबने ईको फ्रेंड्ली गणेशा घर लाने का आह्वान किया है.

हाल में केंद्रिय मंत्री अनंतकुमार ने इसबात पर तवज्जो दी.

इससे पहले प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी ने क्ले के बने मूर्तियों को इस्तेमाल करने की बात की थी अपने मॅन की बात में.

बेंगालुरू में हाल के दिनों में एक और प्रयास किया गया जहाँ ऐसे गणेश की मूर्तियाँ बाँटी गयीं जो बीज के बने थे. जानकार मानते हैं की इनको वृक्षारोपण करने में इस्तेमाल कर सकते हैं.

गणेश चतुर्थी देश का एक बहुत बड़ा त्यौहार है, जो दस दिन तक चलेगा. इसकी शुरुआत ऑगस्ट 25 से होगी और सेप्टेंबर 5 तक चलेगी.  तिथि के हिसाब से गणेश चतुर्थी मध्याना काल में शुरू होता है.

इसी समय सारी पूजा अर्चना की जाती है.

गणेशा को 108 नाम से जाना जाता है और उन्हे कला और ज्ञान के भगवान के रूप में देखा जाता है.

हर अच्छे कार्य में उन्हे सबसे पहले पूजा जाता है.

गणेश चतुर्थी को ख़ास कर महाराष्ट्र, आँध्र प्रदेश, तमिल नाडु और गोआ में मनाया जाता है.

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