हंसते हुए चाँद को क्यूँ देखना गणेश चतुर्थी पे पढ़ता है भारी?
- Arijit Bose
- Oct 6, 2018
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Pic courtesy – Amar Ujala
गणेश को लोग विगनहर्ता के रूप में जानते हैं. लोग उन्हे सबसे पहले पूजते हैं पर उनका एक विकराल रूप भी है. कहानी उस गणेश की जिसने खुद चंद्रमा को श्राप दे दिया था की वो कभी दिखेंगे ही नही. तो क्या है किस्सा आइए जानते हैं.
खानेके बेहद शौकीन और लड्डू और मोदक पे जान छिड़कने वाले गणेश को एक बार एक भोज पे बुलाया गया. माहौल खुशनुमा था और खाने के लिए अलग अलग 51 से ज़्यादा व्यंजन थे.
गणेश को मालूम पड़ा था के दोस्त की अर्धांगिनी बेहद अच्छा खाना पकाती हैं. लंबोदर ने पेट भरके खाना खाया और पूरा आनंद लिया भोज का.
सजे धजे गणेश काफ़ी अच्छे लग रहे थे, खाने के बाद वो मूषक पे सवार वापस घर की तरफ निकले.
मोदक और लड्डू गणेश ने इतना खाया की उनका पेट बाहर आ गया. मूषक उनका भार ना ले सके और लड़खड़ाए और गणेश गिर पड़े.
गिरते साथ गणेशा का पेट फॅट गया और सारे लड्डू बाहर आ गये. पास से गुज़र रहे एक साँप को गणेश ने पकड़ा और अपना पेट बाँध लिया. उन्हे लगा किसी ने देखा नही उन्हें पर चाँद देख के हंस पड़ा.

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गुस्सा में गणेश ने उन्हें श्राप दिया की वो बाहर नही आएँगे. जैसे जैसे दिन बीते मालूम पड़ा उनका ये श्राप धरती वासियों को भारी पढ़ रहा है. दुनिया में हड़कंप मच गया. जीव जन्तु, पेड़ पौधे और इंसान सब त्रस्त थे. धरती फटने लगी थी, समुद्र में उफान आने लगा था और हर तरीके से पर्यावरण अपना संतुलन खोने लगा था.
जब सारे देवी देवताओं ऑर आम जनता को लगा की ये कुछ ठीक नही हो रहा तो सब ने मिलके गणेश की वंदना की. उनसे आग्रह किया की वो जल्द से जल्द कुछ हल निकालें.
घोर तपस्या के बाद, सब ने गणेश को माना ही लिया. गणेश ने अपने श्राप को वापस तो लिया लेकिन एक शर्त पे. उन्होने कहा की रात को चाँद बाहर निकल सकते हैं पर उन्हे कोई भी गणेश चतुर्थी के दिन नही देखेगा. जो देखेगा वो गणेश को नाराज़ करेंगे और उनपे चंद्र दोष लगेगा.

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इसी लिए भद्रपाड़ा महीने के चौथे दिन को जब गणेश चतुर्थी होता है तो कोई चंद्रमा की ओर आँख उठा के नही देखता है.
और इससे बचने का एक मात्र उपाए है की आप स्यामांटका मनी की कहानी सुने और चावल, हल्दी और चंदन को आपके माथे पे छिड़कायं.
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