top of page
Writer's pictureArijit Bose

लॉकडाउन ने लखनऊ में बिजली की खपत को लगभग 45% कम कर दिया है

Photo by Saya Kimura on Pexels.com

बिजली के लोड की मार अक्सर आम आदमी झेलता है. गर्मी के मौसम में लोड शेडिंग और रोस्टेरिंग का ख़ास खामियाज़ा इंसान को उठाना पढ़ता है, उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड (UPPCL) के अधिकारियों ने सरकारी कार्यालयों, कारखानों, व्यापारिक प्रतिष्ठानों, होटल, रेस्तरां, मॉल, सिनेमा हॉल, सभागार, दुकानों और बाजारों को बंद करने पर लखनऊ में बिजली की खपत को लगभग 45% कम होने की बात करी है. हालांकि, उन्हें यह भी डर है कि इससे लखनऊ विद्युत आपूर्ति प्रशासन (लेसा) को वित्तीय हानि हो सकती है.

पिछले वर्षों के आंकड़ों के अनुसार मार्च में अधिकतम मांग 1200 मेगावाट से 1300 मेगावाट प्रतिदिन के बीच थी. लॉकडाउन के बीच, इस साल इसी अवधि में मांग 550 से 650 मेगावाट के बीच मँडरा रही है. मांग में कमी का कारण मुख्य रूप से लॉकडाउन और गर्मियों की शुरुआत में देरी है.

मध्यांचल विद्युत निगम लिमिटेड के एक अधिकारी ने मीडीया से कहा, “अगर अनुमान के मुताबिक बिजली की मांग नहीं बढ़ती है, तो हम बिजली पैदा करने वाली कंपनियों से कम बिजली खरीदेंगे.” 19 मार्च को बिजली की मांग 610 मेगावाट थी, जो 22 मार्च को 508 मेगावाट हो गई, इसके बाद यह 550 मेगावाट से 590 मेगावाट के बीच घूमती रही.

कर्मचारी लॉकडाउन के कारण इतनी बाधाओं के बावजूद 24X7 बिजली की आपूर्ति सुनिश्चित कर रहे हैं. यदि निवासी ट्विटर शिकायत @uprvup पर ट्वीट कर सकते हैं तो वे उपभोगता परिषद के फेसबुक पेज पर लिख सकते हैं. उनकी शिकायत चिंता अधिकारियों के साथ परिवाद द्वारा की जाएगी. बिजली निगम जोखिम के बावजूद शिकायतों में भाग ले रहे हैं और हमें उनकी समस्याओं को समझना चाहिए और उनके प्रयासों को स्वीकार करना चाहिए.

0 views0 comments

Comentarios


bottom of page