राजस्थान के पाली में श्रद्धा के पात्र 350cc के बुलेट बाबा भी हैं पूजनीय
- Arijit Bose
- Nov 9, 2017
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भारत देश में माना जाता है की 33 क्रोर देवी देवताओं का वास है. हर भारतीय धरम के नाम पर किसी भी हद तक जा सकता है. ऐसे समय में जब सड़क हादसों पर बड़ी देश व्यापी बहेस चल रही है, राजस्थान के पाली में एक ऐसा मंदिर भी है जिसे बुलेट बाबा का मंदिर कहा जाता है.
दिसंबर 2, 1988 की काली रात जब ओम बन्ना का आक्सिडेंट हुआ था उसके बारे में अब पाली का हर शक़स जानता है.
ओम बन्ना महेज़ 23 साल के थे जब उनकी मौत सड़क हादसे में हो गयी थी. उनके बेटे महा पराक्रमी सिंग अब 23 के हैं और उनका जनम इस हादसे के दो महीने बाद हुआ था.
350सीसी का रॉयल एनफील्ड जो की मालाओं से सुशोभित हो ऐसा नज़ारा शायद आपको भारत में ही नज़र आए. एक ओर जहाँ रफ़्तार के शौकीन सड़क पर अपने बाइकर होने के जलवे बिखेरते हैं वोहीं ओम बन्ना की आत्मा आज भी अपनी साख बराबर जमाए हुए हैं. जिन्हे अब लोग बुलेट बाबा के नाम से भी जानते हैं.
1988 में ओम सिंग राठौर पाली जिले के चोटला गाओं में अपनी बुलेट पे सवार चल रहे थे. दुर्भाग्यवश वो एक पेड़ से टकरा गये और खड्डे में जा गिरे. वोहीं पर उनकी मौत भी हो गयी.

कहा जाता है की बाइक को पोलीस ने क़ब्ज़े में लिया और अपने साथ ले गयी और उसे अपने स्टेशन पर और गाड़ियों के साथ लगा दिया पर बिके अपने आप वहान से वापस आक्सिडेंट के जगह पहुँच गयी.
पोलीस वालों ने टांक भी खाली किया और चीन से बाँधा पर फिर वोही हुआ जो पहले हुआ. बाइक खुद बा खुद उसी जगह पहुँच गयी.
आस पास के लोगों की ये मान्यता है की आज तक ओम बन्ना की आत्मा दुर्घटनाओं से लोगों को बचाती है.
लोगों ने मिलकर एक मंदिर बनवाया ओम बन्ना के लिए और वोहीं पर उनकी बाइक भी रखी गयी जहाँ से शुरू हुआ बुलेट बाबा के तीर्थ की कहानी.
ओम सिंग को बन्ना इस लिए कहा जाता है क्यूंकी उनकी ज़ूमा ज़ूमा शादी हुई थी.
इतनी बड़ी तादात में लोग मंदिर में आते हैं की उसे अपना जगह भी बदलना पड़ा है.

ओम बन्ना की बुलेट की पूजा अर्चना करने के लिए सिर्फ़ लोगों का ताँता ही नही लगता बल्कि यहाँ पर एक पुजारी भी रहते हैं मंतरा का जाप एवं आरती के लिए. यहा पर आने वाले श्रधालू लाल धागा ना केवल बाइक पे बल्कि पेड़ पर भी बाँधते हैं. यहाँ पर आपको फ्रेम पर चूड़ी लगी मिलेगी और अगर कोई चाहे तो दान के लिए दान पात्रा भी लगा हुआ है.
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