भारत बनाम बांग्लादेश की टक्कर कई माएनों में अनोखी थी. भारत ने 28 रन से बांग्लादेश को शिकस्त दी, वोहीं रोहित शर्मा ने चौथा शतक जड़ दिया. पर जिसने खूब सुर्खियाँ बटोरी वो थीं 87 की चारुलता पटेल.गाल में तिरंगा, हाथ में तिरंगा, तिरंगा साफ़ा लगा कर और ट्रमपॅट बजा कर उन्होने देश की जीत के जश्न का भागीदार बनीं.
जिस देश में बुढ़ापा कैययों के लिए अभिशाप से कम नही, ऐसे में एक हिन्दुस्तानी, चारुलता दादी जब भारत का खेल देखने जाती हैं और हंसते हुए टीम का हौसला बढ़ाती हैं तो अच्छा लगता है. उम्रदराज़ लोगों को जिस देश में वृधाश्रम में पटक के खुद बच्चे शनोशौकत की ज़िंदगी जीते हैं ऐसे में हर एक को इससे सीख लेनी चाहिए.
बच्चों को भी और उन बुज़ुर्ग लोगों को भी की ज़िंदगी खुल के जीने की कोई उमर नही होती और आप चाहें तो आप अपने दम पे बिना किसी रोक टोक के खुशी मना सकते हैं. अच्छा लगा जब उन्हें विराट ने आके इज़्ज़त दी.
आनंद महिंद्रा साहब का भी मैं मुरीद हो गया क्यूंकी उन्होने उनकी ज़िम्मेदारी भी लेने की बात की जिससे आने वाले समय में ऐसा कोई मॅच हो वो जा सकें. ज़माना बदल रहा है. आज जो पैदा करते हैं वोही कमरे में बंद कर प्रताड़ना के शिकार होते हैं.
ओल्ड एज होम दो बार जाना हुआ जो देखा वाकई बहुत दर्दनाक था. एक बार एक डॉक्टर ने कहा था, क्या बतायें जिन्होने बच्चों को प्यार दिया आज वोही बच्चे महीनों से नदारत हैं. उनकी बूढ़ी आँखें उन्हें देखने के लिए तरस जाती हैं और हम सांत्वना देने के अलावा कुछ नही कर सकते.
लखनऊ को देश भर में तहज़ीब, नज़ाकत और नफ़ासत का शहर माना जाता है. ऐसे ही शहर में बढ़ते वृधाश्रम इस बात का गवा हैं की हमने अपने बुज़ुर्गो को उनके वृधवस्था में अवहेलना के अलावा कुछ नही दिया है.
कई नामी गिरामी वृधाश्रम मसलन समर्पण, भारतीय वरिष्ठ नागरिक असोसियेशन, आस्था, ओम सेवा संकल्प, छबि शांति धाम और सेवर्त वृधढा आश्रम शहेर के इस क्षेत्र में काम करने वाले सबसे प्रचलित नाम हैं.
हालाकी इस शहर में गोलडन एज हेल्प लाइन की शुरुआत समाज कल्याण संस्थान ने की, पर आँकड़े बताते हैं घर के अंदर अत्याचार और बुरा व्यवहार बढ़ा ही है घटा नही
चाहे उनसे जायदाद हड़पने की बात हो या फिर पैसा छीनना या मानसिक प्रताड़ना देना हर चीज़ में आज का बुज़ुर्ग वर्ग खुद को ठगा महसूस करता है.
बुज़ुर्गों का ख़ासा तक़लीफ़ पब्लिक के बीच में होती है ख़ास कर पोस्ट ऑफीस, पब्लिक हॉस्पिटल के कर्मचारियों से, सब्ज़ी वालों से और बॅंक में.
शोधकर्ताओं ने भी माना है की एक बुज़ुर्ग व्यक्ति को मानसिक रूप में कमज़ोर करने की भरपूर कोशिश की जाती है.
नॅशनल पॉलिसी ओं सीनियर सिटिज़न्स, 2011 के मुताबिक 2000-2050 में 60 साल के इर्द गिर्द लोगों की संख्या 326% बढ़ेगी. दुनिया के 1/8th” बुज़ुर्ग भारत में रहते हैं.
अकेले 2014 में 8,973 केस वृधों से बदतमीज़ी के सामने आए थे.
संविधान का आर्टिकल 21 इंसान को जीने की और अपने निर्णय लेने की पूरी छूट देता है.
भारत में मेंटेनेन्स आंड वेलफेर ऑफ पेरेंट्स आंड सीनियर सिटिज़न्स आक्ट 2007 में लागू हुआ.
एक देश व्यापी बहेस 2018 में तब छिड़ी जब सामाजिक कार्यकर्ता रवि कालरा KBC 10 में आए और उन्होने दिल दहला देने वाले किससे साझा किया.
उन्हों ने कहा समाज का एक बड़ा तपका है जो अपने बुज़ुर्गो को जहन्नुम से भी बत्तर ज़िंदगी दे रहे हैं.
उन्होने बच्चन के शो में कहा कैसे एक बच्चे ने संपत्ति छीना और फिर कोमा से ग्रसित बाप को चूहों के बीच छोड़ के ताला मार दिया. उन्होने आगे बोला एक औरत को उनके बच्चे इतना कम खाना देते थे की उनका वज़न महेज़ 12 किलो रह गया था.
आज ऊँचे ऊँचे पदों पर बैठे उन बच्चों को याद रखना होगा की आपका भी टाइम आएगा जब मानसिक और शारीरिक रूप से कमज़ोर होंगे, कहीं ऐसा ना हो आप को भी आपके औलाद ठेंगा दिखा दें, जब आप खुद महसूस करेंगे उस दर्द को तब तक आपके लिए वृधाश्रम की काल कोठरी आपके लिए बाहें फैलाए खड़ी होगी.
FACTFILE (Statistics revealed in Surveys/Helpage India Data)
Among the total elderly population, 78% live in rural areas.
India is home to 1 out of every 10 senior citizens globally
Reportedly 50% elders have experienced abuse
72% of abused elderly are of the age group 60–69 years
25% of age group 70–79 years
3% of age group are 80 or above 80 years.
11% senior citizens are treated badly at private hospitals
52% senior citizens suffer rude behaviour for not dressing well
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