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जीवन की आपाधापी में कभी सिंधुताई जैसा बन के देखिएगा अच्छा लगेगा….

  • Writer: Arijit Bose
    Arijit Bose
  • Aug 27, 2019
  • 3 min read

Sindhutai, an angel in disguise

अमिताभ बच्चन के करमवीर एपिसोड में, सिंधुताई आईं उन्होने खेला भी, पर दुनिया उनको KBC के लिए नही, बल्कि उनके निस्वार्थ भाओ से काम करने के वजह से याद रखेगा.

कभी घर से बहार निकाल दी गयी सिंधुताई ने जीवन में हर दुख भोगे. उन्होने शमशान के सूनी ज़मीन पर रात बिताई. उन्होने गली गली भीख माँगा. उन्होने ट्रेन पे गाना भी गाया जिससे उन्हे दो जून की रोटी मिल सके. पर असल ज़िंदगी में उनका मक़सद बेसहारा बच्चों को सहारा देना था.

तक़रीबन 1400 बच्चों की माँ के रूप में सिंधुताई ने ना केवल एक कीर्तिमान स्थापित किया बल्कि उन्होंने दुनिया को दिखा दिया की जिसका कोई नही उसका सिंधुताई है. कई पुरस्कार और सम्मान के मिलने के बाद आज भी उनकी सौम्यता पल भर के लिए ओझल नही होती है.

ये उन्ही का करिश्मा है की सिंधुताई सपकाल के आते ही बच्चन ने उनके पैर छू लिए. बच्चन खुद भी ताई को एक पुरस्कार दे चुके हैं. तमाम तक़लीफ़ और चुनौतियों के बावजूद सिंधुताई ने ज़माने को ये दिखा दिया की कैसे अगर चाह है तो आप दूसरों की ज़िंदगी बदलने में कोई मुश्किल महसूस नहीं करोगे.

उनकी ज़िंदगी से जंग तब शुरू हुई जब वो महेज़ 20 साल की थीं. एक 10 दिन की बेटी को गोद में लेके वो जो वो घर से चली तो उनके कदम कभी घर की ओर वापस नही मुड़े. बहुत साल बाद जब सिंधुताई के पास उनके पति एक रहने के जगह लेने के लिए आए तो उन्होने भी झट से बोला – रहना है तो बेटा बन के रहो, पति नही.

कभी अपने ससुराल से धक्के मार के बाहर निकाली गयी सिंधुताई आज कई लोगो के लिए ना केवल प्रेरणास्रोत हैं, बल्कि कई बेसहारा बच्चों का भविष्य बदलने में सक्षम रही हैं. उन्होने खुद भीक माँगा क्यूंकी वो समाज के कुछ लोगों को खुशहाल देखना चाहती थीं.

जब खाने को नही था तो उन्हे लगा की ये दौर दूसरे ना देखें इसके लिए कोई कारगर कदम उठाने होंगे. यहाँ से शुरू हुआ उनका समाज सेवा का काम. जब भी उनके पास खाना अच्छी मात्रा में होता तो वो, अनात बच्चों को वो खाना मुहैया करातीं. जिससे कोई भी ग़रीब भूखा ना सोए.

अनाथ बच्चों को इतना बढ़िया सहारा देने का कार्य उन्होंने किया की एक समय आया जब उन्हे अनाथ बच्चों की माँ का दर्जा दे दिया गया. उस उपाधि को सिंधुताई आज भी अपने सर का ताज मानती हैं.

अब उन्होंने इतना ज़रूर कर दिया है की अनाथ बच्चे उनकी छत्र छाया में रह सकते हैं. उनका स्नेह और मार्गदर्शन बच्चों को भरपूर मिलता है. ज़िंदगी ने ऐसी करवट ली की एक ओर जहाँ परिवार का साथ छूटा, तो दूसरी ओर उनको 207 जमाई, 36 बहुएँ और 450 नाती पोते मिले. वो अकेले ही 1400 बच्चों की माँ हैं.

कई पुरस्कार और सम्मानों से नवाज़ी गयी सिंधुताई, ने देश के नाना प्रांतों में भ्रमर कर बच्चों को एक नया जीवन दान दिया है.

माँ जैसा प्यार और अच्छा साधन उनके छोटे छोटे प्रयासों के चलते बच्चों को नया जीवन दान मिल रहा है. बच्चों से उनका ऐसा लगाओ है की वो अब हर बच्चे का नाम कंठस्त कर चुकी हैं.

जो भी रकम सिंधुताई जीतीं वो उन्होने सन्मति बालनीकेतन चॅरिटी नामक संस्था को दान कर दिया. इससे ग़रीब बच्चों को भोजन, रहने को बसेरा और उनकी पढ़ाई का ख़याल रखेगा.

2017 में राष्ट्रपति के हाथों सिंधुताई को नारी शक्ति सम्मान से नवाज़ा गया. एक अनोखी माँ होने के लिए उन्हें राष्ट्रीय पुरस्कार से 2013 में नवाज़ा गया. 2012 में उन्हे रियल हीरोस अवॉर्ड्स भी दिया CNN – IBN और रिलाइयन्स फाउंडेशन ने

2000 के बाद से KBC को 18 साल बीत चुके हैं, लेकिन आज भी ऐसे ऐसे लोग इस दरबार में आते हैं जिनके पास या तो ज्ञान का अनूठा भंडार है या फिर उन्होने ज़िंदगी किड धूप में तपके ज़माने में बदलाओ का सपना देखा. बच्चन की भाषा में ज्ञान ही आपको आपका हक़ दिला सकता है पर लोगों की हक़ की लड़ाई जो सिंधुताई ने शुरू की उसे देश के कोटि कोटि लोगों और ख़ास कर नवयुवकों को आगे ले के जाना होगा क्यूंकी कमज़ोर का सहारा बनना अपने आप में एक बड़ी बात है. इस बार KBC में रेजिस्ट्रेशन्स 31 मिलियन पार कर गये 15 दिनों में.

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