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#गोकोरोना: कोरोना के कहर को ठेंगा दिखाता शहर में वर्चुअल क्लासरूम का युग

  • Writer: Arijit Bose
    Arijit Bose
  • Mar 27, 2020
  • 3 min read

Virtual Education Reality : Photo by cottonbro on Pexels.com

समय के साथ साथ परिवर्तन भी ज़रूरी है और एक ऐसे समय में जब दुनिया संकट से गुज़र रहा हो तो हमारा दुनिया के साथ ताल मेल बैठना हमारा असली परिचय देता है. कोरोना ग्रसित बदलते परिवेश में अब शिक्षा को भी अपनी रूप रेखा बदलनी पढ़ी है. लखनऊ जैसे शहर में जो धीरे धीरे दुनिया और मेट्रो शहरों की तर्ज पर आगे बढ़ रहा है, ऐसे में शिक्षा का अगला युग वर्चुयल क्लासरूम की शक्ल में हम सब के सामने है.

हाल में 100 साल पूरा कर चुके लखनऊ विश्वविद्यालय ने कुछ ही दिन पहले इस बात को सार्वजनिक किया, की जब तक कोरोना का कहर जारी रहेगा, विश्वविद्यालय के छात्र वर्चुयल क्लासरूम के माध्यम से पठन पाठन की सारी सुविधायें हासिल कर पाएँगे. LU के शिक्षकों की माने तो इसी चीज़ के मद्देनज़र ई कॉंटेंट मुहैय्या करने का काम अब शुरू हो गया है.

कुलपति ने सभी प्रोफेसर को अधिकारिक वेबसाइट पर अपलोड करने के लिए सामग्री उपलब्ध कराने को कहा है. जो लोग संकाय का हिस्सा हैं उन्हें उपलब्ध कराते रहने को कहा गया है, वो ओरिजिनल नोट्स बनाके हर टॉपिक के लिए अपलोड करते रहेंगे. कुछ संकाय सदस्यों ने सोमवार को अपलोड भी कर दिया है. स्पोक्सपर्सन डॉ दुर्गेश श्रीवास्तव ने बताया कि http://www.lkouniv.ac.in/article/en/lecture-notes लिंक पर नोट्स है.

इन नोट्स का दायरा काफ़ी बड़ा है. ये सभी विषयों पर मसलन कला, वाणिज्य, शिक्षा, विज्ञान और इंजीनियरिंग के शिक्षकों की ओर से अपलोड कर दिए गए हैं. अध्यापक और अध्यापिकाओं को कहा गया गया है, कि अपने दिए गये मेटीरियल्स को पढ़ते रहें. “हमनें ताज़ा मेटीरियल लोड करने को कहा है हर विषय पर,” मीडीया से कहा ए के राय, वाइस-चॅन्सेलर LU ने.

सिर्फ़ LU ही नही एमिटी विश्वविद्यालय में भी अब ऑनलाइन क्लासरूम के ज़रिए बच्चे टीचर्स से मुखातिब होते हैं और फिर ज्ञान अर्जित करते हैं. होमवर्क भी उनको टाइम टाइम पे मिलता रहता है, जिससे पढ़ाई भी ना रुके और किसी तरह की हानि बच्चों को ना झेलनी पड़े.

इससे ना केवल टीचर्स को वर्क फ्रॉम होमे का ऑप्षन मिला है, बल्कि बच्चों को भी संक्रमण से बचते हुए अपने कोर्स को पूरा करने का समय मिल जाता है. साथ ही कुछ पल परिवार के साथ भी मिल जाता है. गौरतलब है की एमिटी में नोट्स हर सेमेस्टर में उपलब्ध कराया जाता रहा है हर विषय में कोर्स में.

दूसरी ओर शहर के विद्यालयों में भी कुछ ऐसा देखने को मिल रहा है. चाहे ब्राइटलैंड स्कूल एंड कॉलेज हो या फिर जैपुरिया या CMS, सब अब ऑनलाइन पढ़ा भी रहे हैं, असाइनमेंट भी करवा रहे हैं और पठन पाठन को और सशक्त भी कर रहे हैं. गूगल क्लासरूम के चलते असाइनमेंट्स को बनाना, बच्चों तक पहुँचाना और उसे ग्रेड करना भी एक नया अनुभव है बहुतों के लिए बिना काग़ज़ की बर्बादी किए.

स्टडी हॉल स्कूल ने भी अब इस नये प्रयास की ओर कदम बदाए हैं. असाइनमेंट और कम्प्लीमेंटरी वीडियोस के ज़रिए अब स्टूडेंट कक्षा एक से आठ तक ज्ञान अर्जित कर रहे हैं. मीडीया से बात करते हुए प्रधानाचार्य स्टडी हाल स्कूल शालिनी सिन्हा ने कहा है “वर्कशीट्स और प्रॉजेक्ट्स रोज़ जाते हैं. बाकी एक्सप्लेनेर्स को भी शेर किए जा रहा है.”

पढ़ा लिखा वर्ग जो अब इसे पूरी तरह समझ रहा है, वो भी मानते हैं की, बदलते समय के साथ अगर हमने ये नही सीखा तो हम शिक्षा के पेशे में पीछे रह जाएँगे. सेठ एम आर जैपुरिया स्कूल में कार्यरत एक अध्यापिका बताती हैं की, ये काम को थोड़ा और आसान बना देता है क्यूंकी इसे हम डेस्कटॉप, लॅपटॉप, टॅबलेट और मोबाइल सबमे आसानी से चला सकते हैं. दोनो टीचर और बच्चों के लिए ये एक अलग ही एहसास है.

इस प्रक्रिया को पूरा करने के लिए हर शिक्षक को और अध्यापक को एक इ मेल ID दिया गया है जिससे वो लोग गूगल क्लासरूम के इस्तेमाल से स्टडी मेटीरियल दे सकते हैं. कई विद्यालयों और शिक्षा संस्थानों में होली की आस पास ही ट्रैनिंग के प्रोग्राम शुरू हो गये थे, जिससे सब तैयार रहे.

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