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कल्युगी धरती पकड़ अडिग की अनोखी दास्तां

  • Writer: Arijit Bose
    Arijit Bose
  • Jul 1, 2017
  • 3 min read

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Narendra Nath Dubey ‘Adig ‘ – Dainik Bhaskar


एक ओर जहाँ राम बनाम मीरा की लड़ाई रायसीना हिल के लिए दिलचस्प बनती जा रही है वहीं काशी के धरती पकड़ माने जाने वाले नरेंद्र नाथ दुबे अडिग फिर से डंके की चोट पर अपना लोहा मनवाने में जुटे हैं.

गिन्नेस बुक ऑफ वर्ल्ड रेकॉर्ड्स आप कहाँ देख रहे हैं? अडिग की अनोखी ज़िंदगी की कहानी यहीं है और कहीं नही. ये शब्द अडिग के घर के बहार एक पोस्टर पे प्रकाशित है.

हालाकी दुबे पिछ्ले चार चुनाव में शिकस्त का सामना किए हैं पर अभी भी देश के शीर्ष पुरुष के तौर पर अपना जगह बनाने का जज़्बा उनमे आज भी कायम है. कुछ ही समय पहले नरेंद्र नाथ दुबे अडिग ने अपना नामांकन भरा है. एक ऐसे समय में जब देश इस राष्ट्रपति चुनाव को दलित बनाम दलित की लड़ाई के तौर पर देख रहा है. आपको बताते चलें की दोनो मीरा कुमार और राम नाथ कोविंद दलित समुदाय से ताल्लुक रखते हैं.

इतिहास गवा है की अडिग ने 1984 से ले कर अब तक हर वो चुनाव लड़ा जिसकी आम इंसान सिर्फ़ कल्पना ही कर सकता है. सांसद , एम एल सी,  उपराष्ट्रपति समेत कई पदों के लिए वो कई चुनाव लड़ चुके हैं. वो ना केवल सारे चुनाव हार गये बल्कि उन्हे अपना जमानत भी जप्त करवाना पढ़ा है.

चुनावों में प्रमुख रूप से नरेंद्र मोदी, केजरीवाल, मुख्तार अंसारी, अजय राय को चुनौती दे चुके हैं .

कभी नाक में रस्सी तो कभी उल्टा चलकर करते हैं नॉमिनेशन

नॉमिनेशन के दौरान अडिग श्रीकृष्ण तो कभी हनुमान का रूप धारण कर पहुंचते हैं .

अँग्रेज़ी में लिखी संविधान को उन्होने साल 1987 में जला दिया.

उन्होने ना केवल कई पुस्तकों को लिखा, साथ ही एक साप्ताहिक पत्रिका के मालिक और प्रधान संपादक हैं. इसके अलावा राष्ट्रीय मानवाधिकार रक्षा समिति के अध्यक्ष भी हैं.

उन्हे 2015 में विश्वगुरु काशी सम्मान से नवाज़ा गया

48 लाख की प्रॉपर्टी के मालिक हैं अडिग

खुद की कोई कार नहीं है और ही जेवरात हैं.  एक एक्टिवा गाड़ी है , कोई मुकदमे भी नहीं हैं

काका जोगिंदर सिंग की देखा देखी अडिग खुद को कुर्सी पकड़ कहते हैं.

2012 के राष्ट्रपति चुनाव में वो तब खबरों में बने रहे जब ये सामने आया की आंध्रा प्रदेश के 50 सांसदों का फ़र्ज़ी सिग्नेचर जुगाड़ किया था उन्होने.

प्रधान मंत्री के निर्वाचन क्षेत्रा वाराणसी के अडिग का सपना ये हैं की वो अपनी जगह गिन्नेस बुक ऑफ वर्ल्ड रेकॉर्ड्स में बनाए सबसे ज़्यादा चुनाव हारने के लिए.

2014 के महासंग्राम में पेशे से आपराधिक वकील, अडिग ने सीधे मोदी को टक्कर देनेके मंशा से चुनाव लड़ा था. उस वर्ष उनका चुनाव चिन्ह लेटर बॉक्स था.

ऐसे दौर में जब योग की चर्चा विश्वा भर में है, नरेंद्र नाथ दुबे अष्टांगा विन्यासा योगा क्रिया में विश्वास रखते हैं.

अडिग के अलावा कई और चेहरे इस चुनाव के रोमांच को बढ़ा रहे हैं . उनमे से हरिद्वार के अजय कुमार गुप्ता हैं, तमिल नाडु से मन्मोमतन और श्रीरामचंद्रन, मध्य प्रदेश के आनंद सिंग कुशवाहा, बिहार के एक क्लर्क लालू प्रसाद यादव एवं महाराष्ट्र के अब्दुल हामिद पाटिल हैं. 

नरेंद्र एक लौते ऐसे अनूठे प्रत्याशी हैं काका जोगिंदर सिंग के बाद जिन्होने इतने सारे चुनाव लड़े और हारे. धरती पकड़ नाम से मशहूर जोगिंदर 300 चुनाव हार चुके हैं.

सूत्रों की माने तो ज़्यादातर इनमे से लोगों को प्रपोज़र्स और सेकेंडर्स का साथ मिलने के आसार कम ही हैं.

इस बार के राष्ट्रपति के चुनाव में तकरीबन 65 प्रत्याशियों ने अपना नामांकन भरा है जिसमे से राम नाथ कोविंद और मीरा कुमार का नाम सबसे उपर है.

करीबन बारह के ऊपर नाम रिजेक्ट हो चुके हैं.

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Adig in his unique nomination day Avatar – Indian Express


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